International Journal of Technology and Applied Science

E-ISSN: 2230-9004     Impact Factor: 10.31

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अज्ञेय के साहित्‍य में जीवन-मूल्‍य

Author(s) डॉ. विजय लक्ष्मी शर्मा
Country India
Abstract अज्ञेय अपने लेखकीय जीवन में वास्तव में धार्मिक सांस्कृतिक, उदारता के जमीन पर खड़े होकर परम्परा स्मृति से जुड़े विविध पक्षों पर विचार क्र रहे थे | अज्ञेय ने संकीर्ण हिन्दू अस्मिता पर जोर देने के कारण उन्मुक्त बौद्धिकता की साहित्यिक पहचान पर जोर दिया है | उनके द्वारा किसी धर्म पर धार्मिक मिथकों को साहित्य की विषय वस्तु न बनाया, यही उनकी उन्मुक्त धार्मिक चेतना का साक्ष्य है | उन्होंने हिन्दू व् मुस्लिम साम्प्रदायिकता को निशाने में रखते विभाजन हुआ | शरणार्थी रुमांचकों पर छः कहानियाँ लिखी | ये कहानियां है-लेहर बॉम्सन, शरणार्थी, बदला, रमन्ते तत्र देवता, मुस्लिम-मुस्लिम भाई-भाई, नारंगियाँ एवं ग्यारह कवितायें लिखी थी | चरम पागलपन उग्रसामूहिक मानवता की लौह बुझती नहीं | अपनी कहानियों में उन्होंने ऐसे चरित्रों का वर्णन किया है जो धर्म की आक्रामक कट्टरता का समर्थन करने के स्थान पर उसका प्रतिकार करते है | कहानी जीवन के भोगे हुए अनुभूत सत्य के क्षणों का प्रतिबिम्ब देती है | कहानी छोटी सी घटना के माध्यम से जो कौंध, जो तड़पन, जो पीड़ा और जो उदवेलन छोड़ जाती है, वह अध्येता के मन मस्तिष्क में मूल्य बनकर अमित हो जाते है | अज्ञेय की कहानियों में जीवन मूल्यों के लिए ही श्रम किया गया है | उनकी लेखनी जीवन मूल्यों के लिए ही संघर्ष करती है, मूल्यों को ही ट्रष्टी है और मूल्यों की ही स्थापना करती है | इस आलेख में हम चर्चा करेंगे: अज्ञेय के साहित्य में जीवन मूल्य
Keywords अज्ञेय, साहित्‍य, जीवन-मूल्‍य, धार्मिक सांस्कृतिक, महान कवि, विचार, संवेदना, प्रयोगवाद, तार सप्तक, रचनाकार
Published In Volume 9, Issue 9, Array 2018
Published On 2018-09-07
Cite This अज्ञेय के साहित्‍य में जीवन-मूल्‍य - डॉ. विजय लक्ष्मी शर्मा - IJTAS Volume 9, Issue 9, Array 2018.

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